नक्षत्रों के श्रीमंत सहस्र सूर्यों के स्वामी ब्रह्मांड नायक महाप्रभु श्री रामलाल जी महराज के श्रीचरणों में सादर निवेदित

एक मुट्ठी राख़ हूँ मैं,चंद वासनाओं में जला भुना

कवि परिचय

संतोष सिंह राख़ ने अपनी पहली पुस्तक काव्य एक मुट्ठी राख़ के पश्चात दूसरी काव्य पुस्तक चाक चुम्बन को प्रकाशित किया | आर्यावर्त, जिसे हम वर्तमान में भारतवर्ष के रूप में जानते हैं, के पाटलिपुत्र अर्थात पटना, बिहार के निवासी संतोष सिंह राख़ अपनी दूसरी कविता पुस्तक चाक चुम्बन जोरबा बुक्स द्वारा प्रकाशित, के साथ बाहर हैं | संतोष सिंह राख़ कहते हैं – आभारी हूँ, उन तमाम साहित्य ऋषियों का, जिनकी वैचारिक मधु बूँदों की संचित सरिता, स्याही का रूप ले, मेरी लेखनी से प्रस्फुटित हो, इन दो मधु कोषों का निर्माण कर सकी। आभारी हूँ, अंतत: पाठशाला के दिनों के अपने उन अनमोल शिक्षकों का, जिन्होंने क से कबूतर से लेकर अ से अरस्तू के दार्शनिक सिद्धांतों एवं ज्ञ से ज्ञान गंगा गीता के मार्मिक दृष्टांतों से मेरी पहचान कराई। बचपन में ही शरत और ओशो से की गईं साहित्यिक मुलाकातें, केन्द्रीय विद्यालय खगौल के प्रांगन में घटित कुछ बातें तथा मुकद्दर में समंदर की कोलंबसी रातें | 

झलकियां